Project Cheetah: कच्छ के बन्नी घास के मैदान में चीतों के स्वागत की तैयारी पूरी

🗓️ Published on: July 16, 2025 5:38 pm
Project Cheetah

Project Cheetah के तहत भारत में चीतों को फिर से बसाने की दिशा में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। गुजरात के कच्छ ज़िले में स्थित बन्नी घास का मैदान अब पूरी तरह से चीतों की मेज़बानी के लिए तैयार हो चुका है। यह स्थान भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा घास का विस्तार है और देश के उन 10 प्रमुख स्थलों में शामिल है, जिन्हें चीता पुनर्वास के लिए चयनित किया गया है।

कच्छ के बन्नी घास के मैदान में बनी शानदार व्यवस्थाएं

गुजरात के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) जयपाल सिंह के अनुसार, बन्नी में 600 हेक्टेयर क्षेत्र में एक सुरक्षित बाड़ा विकसित किया गया है। इसमें शाकाहारी जानवरों की संख्या बढ़ाई गई है, ताकि चीतों को पर्याप्त शिकार उपलब्ध हो सके। इसके साथ ही, यहां सीसीटीवी निगरानी प्रणाली, एक विशेष पशु चिकित्सा केंद्र, और क्वारंटीन से लेकर सॉफ्ट रिलीज़ बाड़ों तक सभी ज़रूरी व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई हैं।

जयपाल सिंह का कहना है, “हम हर प्रकार की आवश्यकता के लिए तैयार हैं, लेकिन यह निर्णय राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) और Project Cheetah संचालन समिति द्वारा लिया जाएगा कि चीतों को कब और कैसे यहां लाया जाए।”

अन्य मांसाहारी जानवरों से सुरक्षा

चीतों के लिए बनाए गए बाड़ों में यह सुनिश्चित किया गया है कि अन्य बड़े मांसाहारी जानवर अंदर न आ सकें। इससे चीतों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है। वहीं, मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में पशु चिकित्सकों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया है। आपको बता दें कि कुनो ही वो पहला स्थल है जहां अफ्रीका से लाए गए चीतों को पहली बार भारत में आश्रय दिया गया था।

कच्छ के बन्नी घास के मैदान का पर्यावरण चीतों के अनुकूल

Project Cheetah के तहत बन्नी घास का मैदान इसलिए उपयुक्त माना गया है क्योंकि अफ्रीकी चीतों के प्राकृतिक आवास जैसे सवाना, घास का मैदान और झाड़ीदार क्षेत्र, बन्नी के भौगोलिक स्वरूप से काफी मेल खाते हैं। यही वजह है कि यहां चीतों को बसाने की योजना बनाई गई।

वंतारा और वन विभाग की संयुक्त पहल

बन्नी घास के मैदान में चीतों के पुनर्वास के साथ-साथ पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने की दिशा में भी कार्य हो रहा है। रिलायंस फाउंडेशन की जामनगर स्थित वंतारा (वन्यजीव बचाव, संरक्षण और पुनर्वास केंद्र) ने गुजरात वन विभाग के सहयोग से चित्तीदार हिरणों (Spotted Deer) को यहां फिर से शामिल किया है।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया, “चित्तीदार हिरणों को शामिल करना, बन्नी में पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित करने की दिशा में अहम कदम है। वंतारा एक समर्पित साझेदार के रूप में सरकार के साथ मिलकर पशु चिकित्सा, वैज्ञानिक सलाह और तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है।”

शिकार प्रजातियों की बढ़ती आबादी

श्री सिंह के अनुसार, बन्नी में चीतों के लिए पर्यावरणीय तैयारी का एक हिस्सा शिकार प्रजातियों की संख्या में वृद्धि भी है। खास तौर पर चीतल और सांभर की संख्या को बढ़ाने के प्रयास तेज़ी से जारी हैं। ये दोनों प्रजातियां चीतों के प्रमुख शिकार होती हैं।

स्थानांतरण से पहले मध्य प्रदेश में अस्थायी ठिकाना

अधिकारियों ने बताया है कि चीतों को बन्नी में लाने से पहले उन्हें मध्य प्रदेश के वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में अस्थायी रूप से रखा जा सकता है। सितंबर 2023 में इसे बाघ अभयारण्य घोषित किया गया था। यह रिजर्व 2,339 वर्ग किलोमीटर में फैला है और भोपाल से लगभग 20 किलोमीटर दूर है, जिसमें नरसिंहपुर, सागर और दमोह ज़िलों के हिस्से शामिल हैं।

हाल ही में एनटीसीए (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) की एक टीम ने इस टाइगर रिजर्व में की जा रही तैयारियों का भी जायज़ा लिया।

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अन्य प्रस्तावित स्थल

Project Cheetah के तहत चीतों को बसाने के लिए 10 संभावित स्थलों की पहचान की गई है:

राज्यस्थल का नाम
छत्तीसगढ़गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान
गुजरातबन्नी घास के मैदान गुजरात कच्छ
मध्य प्रदेशडुबरी वन्यजीव अभयारण्य, संजय राष्ट्रीय उद्यान, बागदरा वन्यजीव अभयारण्य, नौरादेही (अब वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व), कुनो राष्ट्रीय उद्यान
राजस्थानडेज़र्ट नेशनल पार्क, शाहगढ़ घास के मैदान
उत्तर प्रदेशकैमूर वन्यजीव अभयारण्य

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Project Cheetah की शुरुआत और उपलब्धियाँ

भारत सरकार ने Project Cheetah की शुरुआत चीतों के भारत में पुनर्वास के उद्देश्य से की थी। भारत में चीते वर्ष 1952 में विलुप्त घोषित किए गए थे। इसके बाद 70 सालों बाद, सितंबर 2022 में नामीबिया से 8 और फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को भारत लाया गया और उन्हें कुनो राष्ट्रीय उद्यान में बसाया गया।

इनमें से अब तक 11 चीते जीवित हैं। अप्रैल 2025 में दो चीतों को गांधी सागर अभयारण्य में स्थानांतरित भी किया गया है।

अफ्रीकी चीतों के आगमन के बाद से अब तक भारत में 26 शावकों का जन्म हुआ है, जिनमें से 17 शावक स्वस्थ और जीवित हैं। यह Project Cheetah की सफलता का प्रमाण है।