Harishchandragad Trek: पश्चिमी घाट की रोमांचकारी यात्रा

📝 Last updated on: July 11, 2025 12:18 am
Harishchandragad Trek

Harishchandragad trek महाराष्ट्र के पश्चिमी घाटों की सबसे प्रसिद्ध और चुनौतीपूर्ण ट्रेक्स में से एक है। यह ट्रेक हर तरह के ट्रेकर्स के लिए कुछ न कुछ रोमांचक अनुभव लेकर आता है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता मन को मोह लेती है, साथ ही यह स्थान जैव विविधता से भी भरपूर है। अगर आप अभी तक यहाँ नहीं गए हैं, तो जरूर एक बार योजना बनाइए – यह स्थान हर घुमक्कड़ के लिए एक “मस्ट विज़िट” डेस्टिनेशन है।

Trekking on Harihar

हरिश्चंद्रगड़ ट्रेक की विशेषताएं

Harishchandragad trek की खासियत यह है कि इसके कई मार्ग हैं और हर मार्ग पर एक नया अनुभव मिलता है। यहां आपको ऊंचे पहाड़, घाटियाँ, रहस्यमयी गुफाएं, ऐतिहासिक मंदिर और शानदार नज़ारे एक ही यात्रा में देखने को मिलते हैं। यही वजह है कि इसे “ट्रेकर्स का स्वर्ग” भी कहा जाता है। यहां एक ही ट्रेक में रैपलिंग, रॉक क्लाइम्बिंग और वैली क्रॉसिंग जैसे एडवेंचर एक्टिविटीज भी की जा सकती हैं।

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कोकणकडा: घाटी का अद्भुत दृश्य

कोकणकडा (Kokankada) इस ट्रेक का सबसे चर्चित और मनोहारी स्थल है। यहां से आप कोकण क्षेत्र का भव्य दृश्य देख सकते हैं, इसलिए इसका नाम कोकणकडा पड़ा। यह एक विशाल, ऊंची और खड़ी चट्टान है जिसकी संरचना अंदर की ओर झुकी हुई है। चट्टान के दाहिनी ओर से सबसे बेहतरीन दृश्य दिखता है।

यहाँ पर कुछ अनोखी प्राकृतिक घटनाएं भी देखी जा सकती हैं, जैसे vertical cloud bursts, circular rainbow (जिसे Brocken Spectrum भी कहा जाता है)। सूर्यास्त के समय इस घाटी से जो दृश्य मिलता है, वह जीवनभर याद रहने वाला अनुभव होता है। दिनभर की थकान को भुलाकर आप यहां के सूर्यास्त में डूब सकते हैं – यह ट्रेक का सबसे सुंदर अंत होता है।

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तारामती चोटी: महाराष्ट्र की ऊँचाईयों में एक

तारामती चोटी (Taramati Peak) हरिश्चंद्रगड़ की दो प्रमुख चोटियों में से एक है। यह महाराष्ट्र की छठी सबसे ऊंची चोटी है, जिसकी ऊंचाई 1431 मीटर (4695 फीट) है। यह चोटी सल्हेर के बाद दूसरे नंबर पर आती है।

यह हरिश्चंद्रगड़ का सबसे ऊंचा स्थान है, और यहां से नानेघाट और माळशेज घाट का पूरा नज़ारा देखा जा सकता है। सुबह के समय यहाँ से पिंपलगांव जोगे डैम के बैकवॉटर और सूर्योदय का अद्भुत नज़ारा मिलता है। यहां से आप आसपास के कई किले जैसे – भैरवगड़, सिद्धगड़, अजोबागड़, कुलंगगड़ और नानेघाट क्षेत्र को भी देख सकते हैं।

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केदारेश्वर गुफा: जल से घिरी शिवलिंग की पूजा

हरिश्चंद्रेश्वर मंदिर के दाईं ओर स्थित केदारेश्वर गुफा (Kedareshwar Cave) एक अद्भुत स्थान है। इस गुफा में एक विशाल शिवलिंग है जो पूरी तरह से पानी से घिरा हुआ है। यह शिवलिंग लगभग 5 फीट ऊंचा है और इसके चारों ओर का पानी कमर तक भरा रहता है।

शिवलिंग तक पहुँचने के लिए आपको ठंडे पानी के अंदर से गुजरना पड़ता है, जो अपने आप में एक अद्वितीय अनुभव है। यहां गुफा की दीवारों पर की गई मूर्तिकला भी देखने लायक है।

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हरिश्चंद्रेश्वर मंदिर: एक प्राचीन शिल्पकला का चमत्कार

हरिश्चंद्रगड़ के प्रमुख आकर्षणों में से एक है – हरिश्चंद्रेश्वर मंदिर। यह मंदिर एक विशाल चट्टान को काटकर बनाया गया है और इसकी नक्काशी अत्यंत सुंदर है। मंदिर की ऊँचाई आधार से लगभग 16 मीटर है। इसके पास कुछ गुफाएं और एक जल कुंड भी स्थित हैं, जिससे पीने का पानी प्राप्त होता है।

मंदिर के प्रवेशद्वार के बाईं ओर एक देवनागरी लिपि में शिलालेख भी अंकित है। इस मंदिर की स्थापत्य कला मध्यकालीन भारतीय मंदिरों की याद दिलाती है।

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नागेश्वर मंदिर: इतिहास और कला का मिलन

नागेश्वर मंदिर (Nageshwar Temple) भी इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण धार्मिक और स्थापत्य स्थल है। यह मंदिर सुंदर नक्काशी और भव्य संरचना का एक उत्तम उदाहरण है। इतिहास के अनुसार, यह मंदिर 10वीं शताब्दी में बना था।

इस समय झंज (Zhanj) नामक एक राजा, जो शिलाहार वंश का था, इस क्षेत्र पर शासन करता था। वह भगवान शिव का परम भक्त था और उसने गोदावरी और भीमा नदी के बीच बहने वाली 12 प्रमुख नदियों के उद्गम स्थल पर 12 शिव मंदिरों का निर्माण कराया था, जिनमें नागेश्वर मंदिर भी शामिल है।

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निष्कर्ष

Harishchandragad trek एक ऐसा अनुभव है जिसमें रोमांच, प्राकृतिक सौंदर्य, इतिहास और आध्यात्मिकता – सब कुछ समाहित है। चाहे आप एक शौकिया ट्रेकर हों या अनुभवी पर्वतारोही, यह ट्रेक हर किसी के लिए अनमोल यादें लेकर आता है। सूर्यास्त से लेकर सूर्योदय तक, चट्टानों से लेकर मंदिरों तक – हर एक पल यहां बिताया गया एक अविस्मरणीय अनुभव होता है।

अगर आपने अभी तक Harishchandragad trek नहीं किया है, तो अब समय आ गया है – बैग पैक कीजिए और निकल पड़िए इस अद्भुत यात्रा पर।