Trekking on Harihar Fort एक ऐसा अनुभव है, जिसे हर प्रकृति प्रेमी और ट्रेकिंग के शौकीन को जरूर करना चाहिए। यह किला अपनी अनोखी बनावट, खड़ी चट्टानों और ऐतिहासिक विरासत के कारण महाराष्ट्र के सबसे लोकप्रिय ट्रेकिंग स्थलों में से एक बन चुका है।

अनोखी सीढ़ियाँ और शुरुआती चढ़ाई
हरिहर गढ़ की चट्टान पर कुल 117 खड़ी सीढ़ियाँ हैं, जो इसकी विशेष पहचान हैं। इन सीढ़ियों को इस तरह तराशा गया है कि ट्रेकर्स को किले पर चढ़ने में आसानी हो सके। इन सीढ़ियों पर छोटे-छोटे गड्ढे बने हुए हैं, जो पैरों को अच्छी पकड़ (Grip) प्रदान करते हैं, जिससे चढ़ाई सुरक्षित और संतुलित हो जाती है।
जब आप इन सीढ़ियों से ऊपर चढ़ते हैं, तो एक विशेष स्थान आता है जहाँ से आपको एक ओवरहैंग (Overhang) के नीचे से होकर गुजरना होता है। इसके बाद, तेज हवाओं का सामना करते हुए एक पतली सी पगडंडी पार करनी पड़ती है। फिर से एक और खड़ी चढ़ाई शुरू होती है, जहाँ से होकर आपको एक संकरी सीढ़ी मिलती है जो सीधे किले के अंदर से होकर गुजरती है।
मुख्य द्वार से किले की ओर
इन रोमांचक सीढ़ियों को पार करने के बाद आप हरिहर किले के मुख्य प्रवेश द्वार तक पहुँचते हैं। किले के भीतर एक ऊँचा हिस्सा है, जिसके साथ एक पतला पठार जुड़ा हुआ है। इस पठार पर भगवान हनुमान जी और भगवान शिव का एक छोटा सा मंदिर स्थित है। मंदिर के सामने एक छोटा सा सरोवर भी है, जिसे ‘पुष्करणी तीर्थ’ कहा जाता है। इस तालाब का पानी पीने योग्य माना जाता है।
पुराना महल और रहने की व्यवस्था
आगे बढ़ने पर एक पुराना महल दिखाई देता है, जिसमें दो कमरे हैं। इस महल में लगभग 10 से 12 लोगों के रुकने की व्यवस्था हो सकती है। यह ट्रेकर्स के लिए एक सुरक्षित विश्राम स्थल की तरह कार्य करता है।
स्कॉटिश कड़ा और एडवेंचर
किले की एक खड़ी चट्टान का हिस्सा निर्गुडपाड़ा गाँव की ओर स्थित है, जिसे ‘स्कॉटिश कड़ा’ कहा जाता है। इसका नामकरण इस वजह से हुआ कि नवंबर 1986 में प्रसिद्ध पर्वतारोही डॉग स्कॉट (Doug Scott) ने पहली बार इस कठिन पहाड़ी पर चढ़ाई की थी। यह चट्टान लगभग 170 मीटर ऊँची है, और इस पर चढ़ाई करने में उन्हें दो दिन लगे थे। यह स्थान साहसी ट्रेकर्स के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण माना जाता है।
रहस्यमयी गुफा और प्राचीन झील
हरिहर किले के अंतिम छोटे द्वार से आगे बढ़ने पर बाईं ओर एक गुफा दिखाई देती है। हालांकि वहाँ तक पहुँचने के लिए रस्सी की आवश्यकता होती है क्योंकि रास्ता खतरनाक और फिसलन भरा हो सकता है।
किले के पास एक बड़ी झील भी स्थित है, जिसकी पश्चिम दिशा में एक दीवार बनाकर पानी को रोका गया है। झील के किनारे हनुमान जी का मंदिर बना हुआ है और उसके पास ही शिवलिंग और नंदी जी विराजमान हैं।
गोला-बारूद डिपो और ऐतिहासिक संरचनाएं
किले के एक कोने में गोला-बारूद डिपो (Ammunition Storage) स्थित है, जो उस समय की सैन्य तैयारियों की झलक देता है। इसके साथ ही एक छोटा सा शंकु जैसा भाग भी किले के बीचों-बीच दिखाई देता है, जिसकी ऊँचाई लगभग 15-60 फीट है। इस पर चढ़ने के बाद आप किले के सबसे ऊँचे हिस्से पर पहुँचते हैं।
अद्भुत दृश्य और आसपास के किले
किले के शीर्ष से देखने पर पूर्व दिशा में त्र्यंबकेश्वर पर्वत श्रृंखला (Trimbakeshwar Mountain Range) का मनमोहक दृश्य दिखाई देता है। उत्तर दिशा में वाघेरा किला, और दक्षिण दिशा में कवनई और त्रिंगलवाड़ी किले साफ नजर आते हैं। यह दृश्य बेहद शांत, सुंदर और फोटो खींचने लायक होता है।
उतरते समय रखें विशेष ध्यान
हरिहर किले से उतरना भी एक चुनौतीपूर्ण काम है क्योंकि वापसी भी उसी रास्ते से करनी पड़ती है जिससे चढ़ाई की गई थी। वापस आते समय तीव्र कोण वाली सीढ़ियाँ फिर से पार करनी होती हैं, इसलिए बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। ट्रेकर्स को सलाह दी जाती है कि वे सीढ़ियों के अंदर बने गड्ढों का उपयोग करते हुए संतुलन बनाकर नीचे उतरें।
ब्रह्मा पर्वत का भव्य नजारा
जब आप नीचे उतरते हैं, तो सामने की ओर एक 30 फुट लंबा और 12 फुट चौड़ा पत्थर दिखाई देता है, जिसमें एक गुंबदाकार सिर बना हुआ है। यह किला का एकमात्र ऐसा हिस्सा है जिसकी छत अब भी सही सलामत है। इस स्थान से सामने की ओर ब्रह्मा पर्वत का अत्यंत भव्य दृश्य दिखाई देता है, जो यात्रियों के मन को मोह लेता है।
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यात्रा की कुल अवधि
Trekking on Harihar Fort की पूरी यात्रा में लगभग 2 से 2.5 घंटे का समय लगता है। यह यात्रा न केवल साहसिक होती है, बल्कि ऐतिहासिक और प्राकृतिक सौंदर्य से भी भरपूर होती है। जिन लोगों को रोमांच और पहाड़ियों से प्यार है, उनके लिए यह एक अविस्मरणीय अनुभव साबित होता है।
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निष्कर्ष:–Trekking on Harihar Fort
अगर आप एक शानदार ट्रेकिंग अनुभव की तलाश में हैं, तो Trekking on Harihar Fort आपके लिए एक आदर्श विकल्प है। यह किला आपको ना सिर्फ साहसिक ट्रेकिंग का अनुभव देगा, बल्कि भारत की ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहरों से भी रूबरू कराएगा।