Guru Ghasidas Tamor Pingla Tiger Reserve: गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व, छत्तीसगढ़ – छत्तीसगढ़ का गौरव

🗓️ Published on: April 26, 2025 12:34 am
Guru Ghasidas Tamor Pingla Tiger Reserve

Guru Ghasidas Tamor Pingla Tiger Reserve: गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व छत्तीसगढ़ राज्य का चौथा टाइगर रिज़र्व है, जिसे अक्टूबर 2021 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की सिफारिश पर घोषित किया गया था। यह क्षेत्र न सिर्फ जैव विविधता से भरपूर है, बल्कि यह मध्य भारत के बाघ संरक्षण नेटवर्क में भी एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है।

Guru Ghasidas Tamor Pingla Tiger Reserve स्थान और क्षेत्रफल

यह टाइगर रिज़र्व छत्तीसगढ़ के उत्तर-पश्चिमी जिलों – कोरिया, सूरजपुर और बलरामपुर में फैला हुआ है। यह क्षेत्र छोटा नागपुर पठार और बघेलखंड क्षेत्र का हिस्सा है, जो प्राकृतिक सुंदरता और वन संपदा से समृद्ध है।

  • कुल क्षेत्रफल: 2,829.38 वर्ग किमी
  • कोर क्षेत्र: 2,049.2 वर्ग किमी
  • बफर क्षेत्र: 780.15 वर्ग किमी

वन्यजीव और जैव विविधता

इस रिज़र्व में समृद्ध जैव विविधता पाई जाती है:

  • स्तनधारी प्रजातियाँ: बाघ, तेंदुआ, जंगली कुत्ता, भालू, हाथी, चीतल, सांभर, गौर आदि
  • पक्षी प्रजातियाँ: लगभग 230 से अधिक, जिनमें हॉर्नबिल, उल्लू, बाज, मोर आदि शामिल हैं
  • अन्य प्रजातियाँ: सरीसृप, उभयचर, कीट और वनस्पति की अनेक दुर्लभ जातियाँ

इस क्षेत्र में बाघों की प्राकृतिक उपस्थिति और उनके लिए अनुकूल आवास इसे टाइगर रिज़र्व घोषित किए जाने का आधार बना।

वनस्पति और पारिस्थितिकी

गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व साल, साजा, बीजा, कुसुम, धवड़ा आदि जैसे वृक्षों से आच्छादित है। यहाँ की पारिस्थितिक विविधता में:

  • घने जंगल
  • पहाड़ी इलाके
  • जलधाराएँ और प्राकृतिक झरने
  • घास के मैदान

इन सबका समावेश बाघों और अन्य वन्यजीवों के लिए उपयुक्त पारिस्थितिकी बनाता है।

भौगोलिक महत्त्व

इस टाइगर रिज़र्व की सीमाएं मध्यप्रदेश के संजय डुबरी टाइगर रिज़र्व से मिलती हैं और यह पलामू टाइगर रिज़र्व (झारखंड) तथा बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व (मध्यप्रदेश) के बीच एक जैविक गलियारा (Wildlife Corridor) के रूप में कार्य करता है। इससे वन्यजीवों की आवाजाही और जैव विविधता की निरंतरता बनी रहती है।

पर्यटन और भ्रमण

हालांकि अभी यह क्षेत्र मुख्यधारा के पर्यटन स्थलों जैसा विकसित नहीं है, फिर भी:

  • प्राकृतिक फोटोग्राफी
  • पक्षी अवलोकन (Bird Watching)
  • वन भ्रमण (Nature Trail)
  • आदिवासी संस्कृति का अनुभव
    …जैसी गतिविधियाँ यहां पर्यटकों को आकर्षित कर रही हैं।

यात्रा करने से पहले वन विभाग से अनुमति लेना आवश्यक है।

स्थानीय समुदाय और संरक्षण

इस टाइगर रिज़र्व क्षेत्र में कई आदिवासी समुदाय निवास करते हैं, जिनका जीवन जंगलों पर निर्भर है। सरकार इन समुदायों के लिए:

  • वैकल्पिक रोजगार
  • पुनर्वास योजनाएं
  • ईको-पर्यटन के माध्यम से आजीविका के अवसर

संक्षिप्त तथ्य तालिका

तथ्यविवरण
राज्यछत्तीसगढ़
स्थापना वर्ष2021
कुल क्षेत्रफल2,829.38 वर्ग किमी
कोर क्षेत्र2,049.2 वर्ग किमी
मुख्य जानवरबाघ, तेंदुआ, भालू, हाथी
निकटवर्ती टाइगर रिज़र्वसंजय डुबरी, पलामू, बांधवगढ़

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निष्कर्ष

गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व न केवल छत्तीसगढ़ के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह क्षेत्र न केवल बाघों को सुरक्षित आवास प्रदान करता है, बल्कि पारिस्थितिक संतुलन और जैव विविधता की निरंतरता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं, तो यह स्थान आपके लिए एक शांत, रोमांचकारी और ज्ञानवर्धक अनुभव साबित हो सकता है।