Greater Flamingo Sanctuary: भारत का दक्षिणी राज्य तमिलनाडु अब एक और नई पहचान की ओर बढ़ रहा है। यहाँ का धनुषकोडी क्षेत्र अब जल्द ही ग्रेटर फ्लेमिंगो अभयारण्य के रूप में विकसित किया जा रहा है। यह परियोजना न केवल प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के लिए अहम है, बल्कि यह पर्यावरण पर्यटन को भी बढ़ावा देगी।
ग्रेटर फ्लेमिंगो: कौन हैं ये सुंदर पक्षी?
ग्रेटर फ्लेमिंगो (Greater Flamingo) दुनिया के सबसे बड़े फ्लेमिंगो प्रजातियों में से एक है। इनकी प्रमुख विशेषताएं हैं:
- सुंदर गुलाबी रंग
- लंबी टाँगें और गर्दन
- झुंड में रहना और एकसाथ उड़ान भरना
- दलदली या खारे जल वाले क्षेत्रों में रहना
प्रवासी प्रवृत्ति के कारण ये सर्दियों में भारत जैसे देशों में बड़ी संख्या में दिखाई देते हैं।
Greater Flamingo Sanctuary: कहाँ और क्यों?
विषय | विवरण |
---|---|
स्थान | धनुषकोडी, रामेश्वरम द्वीप, तमिलनाडु |
घोषित | तमिलनाडु सरकार द्वारा वर्ष 2025-26 के बजट में |
उद्देश्य | प्रवासी पक्षियों का संरक्षण और पारिस्थितिकी सुरक्षा |
खास बात | यह क्षेत्र सेंट्रल एशियन फ्लाईवे का हिस्सा है |
धनुषकोडी, जहाँ बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर मिलते हैं, प्रवासी पक्षियों के लिए एक आदर्श स्थल है। यहाँ की जलवायु, दलदली क्षेत्र और जैव विविधता फ्लेमिंगो को आकर्षित करती है।
पर्यावरणीय महत्व
ग्रेटर फ्लेमिंगो अभयारण्य न केवल पक्षियों का संरक्षण करेगा, बल्कि यह निम्नलिखित क्षेत्रों में भी योगदान देगा:
- दलदली भूमि और मैंग्रोव संरक्षण
- स्थानीय मछुआरा समुदायों को आजीविका सहायता
- जैव विविधता में वृद्धि
- पर्यावरण शिक्षा और अनुसंधान के अवसर
कैसे पहुँचें?
- निकटतम रेलवे स्टेशन: रामेश्वरम
- सड़क मार्ग: रामेश्वरम से धनुषकोडी तक पक्की सड़क उपलब्ध है
- नजदीकी हवाई अड्डा: मदुरै (लगभग 170 किमी)
क्या देखें?
- फ्लेमिंगो के झुंडों की झील में उड़ान
- सूर्यास्त के समय फ्लेमिंगो की परछाइयाँ
- समुद्र और दलदल का संगम
- पुराने चर्च और रेलवे स्टेशन के खंडहर
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पर्यावरण पर्यटन को बढ़ावा
यह अभयारण्य पर्यावरण पर्यटन के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। यहाँ आने वाले पर्यटक:
- बर्ड वॉचिंग (पक्षी अवलोकन)
- फोटोग्राफी
- इको-ट्रेल्स
- प्रकृति प्रेमियों के लिए शांतिपूर्ण अनुभव
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निष्कर्ष
ग्रेटर फ्लेमिंगो अभयारण्य तमिलनाडु की एक महत्वाकांक्षी और दूरदर्शी परियोजना है। यह सिर्फ पक्षियों का आश्रय नहीं, बल्कि प्राकृतिक संतुलन और सतत विकास की दिशा में उठाया गया एक अहम कदम है। यह भारत के पक्षी प्रेमियों, पर्यावरणविदों और यात्रियों के लिए एक नया आकर्षण केंद्र बनता जा रहा है।