Gaj Mitra Yojna: असम सरकार की अनोखी योजना, मानव और हाथी संघर्ष को कम करने की दिशा में बड़ा कदम

🗓️ Published on: July 17, 2025 2:33 pm
Gaj Mitra Yojna

Gaj Mitra Yojna असम सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य राज्य में बढ़ते मानव-हाथी संघर्ष को नियंत्रित करना और दोनों के बीच संतुलन स्थापित करना है। यह योजना मानव जीवन और वन्यजीवों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए टिकाऊ समाधान प्रस्तुत करती है।

गज मित्र योजना की पृष्ठभूमि

पिछले दो दशकों में असम में मानव और हाथियों के बीच टकराव की घटनाएं चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई हैं। जंगलों के लगातार कटाव, इंसानी बस्तियों का विस्तार और हाथियों के प्राकृतिक आवास में हस्तक्षेप के कारण हाथी अक्सर गांवों और खेतों की ओर रुख करते हैं। इससे न केवल फसल और संपत्ति को नुकसान होता है, बल्कि इंसानी और हाथी दोनों की जान भी खतरे में पड़ती है।

2000 से 2023 के बीच असम में लगभग 1,400 लोगों और 1,200 से अधिक हाथियों की मृत्यु इस संघर्ष का परिणाम रही है।

Gaj Mitra Yojna के प्रमुख उद्देश्य

1. हाथी-प्रवण क्षेत्रों की पहचान और संरक्षण

राज्य सरकार ने 80 ऐसे क्षेत्रों की पहचान की है जो हाथियों के आगमन के लिए संवेदनशील माने जाते हैं। यहां विशेष प्रबंधन के जरिए हाथियों को सुरक्षित और प्राकृतिक आवास मुहैया कराया जाएगा।

2. हाथी-मित्र पौधारोपण अभियान

गांवों और हाथी गलियारों के किनारे ऐसे पौधों जैसे नापियर घास, बांस आदि का रोपण किया जाएगा, जो हाथियों को पसंद होते हैं। इसका उद्देश्य उन्हें जंगलों में ही भोजन उपलब्ध कराना है ताकि वे गांवों में न घुसें।

3. स्थानीय ‘गज मित्र’ स्वयंसेवक दल

हर संवेदनशील क्षेत्र में गांव स्तर पर 8-8 लोगों की टीम तैयार की जाएगी, जिन्हें ‘गज मित्र’ कहा जाएगा। ये लोग हाथियों की गतिविधियों पर नज़र रखेंगे और ग्रामीणों को समय रहते अलर्ट करेंगे।

4. हाथी गलियारों का पुनर्निर्माण

जो परंपरागत रास्ते हाथी सालों से उपयोग करते आ रहे हैं, उन्हें संरक्षित और बहाल किया जाएगा। इससे हाथियों को बिना इंसानी क्षेत्र में घुसे, एक जंगल से दूसरे जंगल तक जाने का सुरक्षित रास्ता मिलेगा।

5. तकनीक आधारित निगरानी और चेतावनी प्रणाली

गांवों के पास कैमरा ट्रैप और आधुनिक सेंसर लगाए जाएंगे जो हाथियों की उपस्थिति का पता लगाकर स्थानीय लोगों को पहले से ही अलर्ट कर सकें।

क्यों जरूरी है Gaj Mitra Yojna?

हाथियों का प्राकृतिक आवास लौटाना

हाथियों का भोजन और पानी जंगलों में सुलभ कराने से वे मानवीय बस्तियों में जाने की आवश्यकता महसूस नहीं करेंगे।

स्थानीय समुदाय की भागीदारी

इस योजना में आम ग्रामीणों को प्रशिक्षण और जिम्मेदारी देकर उन्हें भी संरक्षण प्रक्रिया का हिस्सा बनाया गया है। इससे योजना ज़मीनी स्तर पर प्रभावी हो पाएगी।

मानव-हाथी संघर्ष में कमी

समय पर चेतावनी और रास्तों की पहचान से टकराव की घटनाएं काफी हद तक कम की जा सकेंगी, जिससे जान-माल की हानि रुकेगी।

योजना के लाभ — एक नजर में

पहलूलाभ
पर्यावरणजैव विविधता और वन क्षेत्र का संरक्षण
समाजग्रामीणों की सुरक्षा और जागरूकता
वन्यजीवहाथियों के लिए सुरक्षित और शांत वातावरण
तकनीकनिगरानी और अलर्ट सिस्टम से समय पर बचाव

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भविष्य की दिशा

Gaj Mitra Yojna को आने वाले वर्षों में अन्य राज्यों में भी लागू किया जा सकता है। यदि अन्य राज्य भी इस मॉडल को अपनाएं तो देशभर में मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने में काफी मदद मिल सकती है। यह योजना न केवल एक प्रशासनिक कदम है, बल्कि यह इंसानों और जानवरों के बीच सह-अस्तित्व की एक सकारात्मक मिसाल है।

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निष्कर्ष

Gaj Mitra Yojna असम सरकार की दूरदर्शी सोच और सतत विकास की दिशा में एक अभिनव पहल है। यह योजना इस बात का प्रमाण है कि यदि सरकार और समुदाय मिलकर कार्य करें तो मानव और वन्यजीवों के बीच संतुलन कायम किया जा सकता है। यह केवल संरक्षण नहीं, बल्कि संवेदनशीलता, सहानुभूति और सतर्कता का प्रतीक है।