Wildlife Protection Act 1972: भारत जैव विविधता से भरपूर एक देश है, जहाँ अनेक प्रकार के वन्यजीव और वनस्पतियाँ पाई जाती हैं। किन्तु शिकार, तस्करी और वनों की कटाई के कारण कई प्रजातियाँ संकट में आ गईं। इन्हीं कारणों से भारत सरकार ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 (Wildlife Protection Act 1972) लागू किया। यह अधिनियम वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है और उनके संरक्षण के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करता है।
Wildlife Protection Act 1972 अधिनियम का उद्देश्य

इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- भारत में पाई जाने वाली वन्य प्रजातियों का संरक्षण।
- वन्यजीवों के अवैध शिकार, तस्करी और व्यापार पर नियंत्रण।
- राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य और संरक्षित क्षेत्र स्थापित करना।
- संकटग्रस्त प्रजातियों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करना।
अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ
1. अनुसूचियाँ (Schedules)
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम में प्रजातियों को 6 अनुसूचियों (Schedules) में विभाजित किया गया है:
- अनुसूची I और II: इनमें शामिल प्रजातियाँ अत्यधिक संरक्षित होती हैं। इनका शिकार या व्यापार अपराध की श्रेणी में आता है।
- अनुसूची III और IV: इनमें कम संरक्षित प्रजातियाँ आती हैं, लेकिन इन पर भी नियंत्रण होता है।
- अनुसूची V: इनमें ऐसे पशु शामिल हैं जिन्हें हानिकारक माना जाता है और जिनका शिकार किया जा सकता है।
- अनुसूची VI: इसमें संरक्षित पौधों की सूची होती है, जिनका संग्रह और व्यापार प्रतिबंधित है।
2. संरक्षित क्षेत्र (Protected Areas)
अधिनियम के अंतर्गत विभिन्न संरक्षित क्षेत्र स्थापित किए जाते हैं:
- राष्ट्रीय उद्यान (National Parks)
- वन्यजीव अभयारण्य (Wildlife Sanctuaries)
- बफर ज़ोन और संरक्षण रिज़र्व
इन क्षेत्रों में मानव गतिविधियाँ नियंत्रित होती हैं ताकि वन्यजीवों को प्राकृतिक आवास में संरक्षण मिल सके।
3. कानून का प्रवर्तन (Enforcement)
इस अधिनियम को लागू करने के लिए सरकार द्वारा विशेष अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं:
- वन अधिकारी (Forest Officers)
- वन्यजीव वार्डन (Wildlife Wardens)
- पुलिस एवं सीमा सुरक्षा बलों का सहयोग भी लिया जाता है।
4. दंड और सज़ा (Punishment and Penalty)
इस अधिनियम के उल्लंघन पर कठोर सज़ा का प्रावधान है:
- अनुसूची I या II के तहत संरक्षित प्रजातियों के शिकार पर 3 से 7 साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।
- बार-बार अपराध करने पर सज़ा और अधिक सख्त हो सकती है।
संशोधन और विकास
- इस अधिनियम में समय-समय पर कई संशोधन (Amendments) किए गए हैं, जैसे कि 2002 और 2006 के संशोधन, जिससे दंड और संरक्षण प्रावधानों को और मजबूत बनाया गया।
- हाल ही में 2022 में भी संशोधन हुआ जिसमें वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB) को अधिक अधिकार दिए गए।
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वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का महत्व
- यह अधिनियम भारत में वन्यजीवों के अस्तित्व को सुरक्षित करने का सबसे मजबूत कानूनी ढांचा है।
- इसके कारण ही बाघ, हाथी, गैंडा, शेर जैसे संकटग्रस्त प्रजातियाँ बचाई जा सकीं।
- यह अधिनियम इको-टूरिज्म, पारिस्थितिक संतुलन और पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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निष्कर्ष
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 भारत के प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके प्रभावी क्रियान्वयन से न केवल वन्यजीवों को सुरक्षा मिली है, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ भी इस समृद्ध जैव विविधता का अनुभव कर सकेंगी। यह हमारी संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का प्रतीक है कि हम अपने पर्यावरण और जीव-जंतुओं के प्रति सजग रहें।