Kevala Dev National Park: केवला देव राष्ट्रीय उद्यान, जिसे भरतपुर पक्षी अभयारण्य के नाम से भी जाना जाता है, राजस्थान राज्य के भरतपुर जिले में स्थित है। यह विश्वप्रसिद्ध पक्षी अभयारण्य है जहाँ सर्दियों में हजारों प्रवासी पक्षी आते हैं। यूनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त है। यह उद्यान पक्षियों की 370 से अधिक प्रजातियों का सुरक्षित घर है।
Kevala Dev National Park इतिहास

Kevala Dev National Park इस अभयारण्य की शुरुआत 18वीं सदी में भरतपुर के शासकों द्वारा शिकारगाह के रूप में की गई थी। बाद में, वर्ष 1956 में इसे पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया और 1982 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला। वर्ष 1985 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया।
भौगोलिक स्थिति और विस्तार
केवला देव राष्ट्रीय उद्यान लगभग 29 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह भरतपुर शहर से मात्र 2 किलोमीटर और दिल्ली से लगभग 180 किलोमीटर दूर स्थित है। इसका भू-भाग आर्द्रभूमि, घास के मैदान, जंगल और जलाशयों से बना हुआ है, जो पक्षियों के लिए आदर्श आवास बनाता है।
Kevala Dev National Park जैव विविधता
Kevala Dev National Park पक्षी प्रजातियाँ
यहां प्रवासी और स्थायी दोनों प्रकार की पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं। प्रमुख पक्षियों में शामिल हैं:
- साइबेरियन क्रेन (अब बहुत दुर्लभ)
- painted stork (चित्रित सारस)
- spoonbill
- kingfisher
- pelican
- flamingo
यहा देखे जाने वाले अन्य जीव-जंतु
यहाँ सिर्फ पक्षी ही नहीं बल्कि कई स्तनधारी और सरीसृप प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं:
- नीलगाय
- सियार
- अजगर
- कछुए
- सांप
प्रमुख आकर्षण
- सर्दियों में प्रवासी पक्षी: विशेष रूप से नवंबर से फरवरी तक साइबेरिया से आने वाले पक्षी।
- साइकिल और रिक्शा सफारी: पर्यटक रिक्शा या साइकिल पर उद्यान की सैर कर सकते हैं।
- फोटोग्राफी: प्रकृति प्रेमियों और पक्षी फोटोग्राफरों के लिए यह एक स्वर्ग है।
घूमने का सबसे अच्छा समय
Kevala Dev National Park घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है, जब प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है और मौसम भी सुहावना रहता है।
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कैसे पहुंचे?
- सड़क मार्ग: भरतपुर दिल्ली, जयपुर और आगरा से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से जुड़ा हुआ है।
- रेल मार्ग: भरतपुर रेलवे स्टेशन उद्यान से मात्र 5 किलोमीटर दूर है।
- हवाई मार्ग: नजदीकी हवाई अड्डा आगरा (56 किमी) और दिल्ली (180 किमी) है।
संरक्षण प्रयास
वन विभाग और स्थानीय प्रशासन इस राष्ट्रीय उद्यान की जैव विविधता को सुरक्षित रखने के लिए जल प्रबंधन, निगरानी और पर्यावरण शिक्षा जैसे अनेक उपाय कर रहे हैं। यहां के गाइड भी पर्यटकों को प्राकृतिक संतुलन की अहमियत समझाते हैं।
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निष्कर्ष
केवला देव राष्ट्रीय उद्यान केवल एक पक्षी अभयारण्य नहीं, बल्कि एक जीवंत पारिस्थितिक प्रणाली है जो पर्यावरण प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसकी समृद्ध जैव विविधता और शांत वातावरण इसे भारत के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों में शामिल करता है।